Thursday 18 June 2020

ख़याल...



कल रात एक ख्वाब आँखों में चढ़ गया,
कल रात एक ख्वाब आँखों से उतर गया |
कल रात ओस की एक बूँद पलकों पर ठहर गयी,
कल रात आंसू का एक कतरा गालों से ढलक गया |

कुछ सोच कर पीला पड़ता गुलाब कल रात बेवजह सुर्ख खिल गया,
एक अरसे से कलम से जुदा मेरा ख़याल,
कल रात शब्द दर शब्द मेरी डायरी में उतर गया|

No comments:

Post a Comment

The longing for the impossible

What is containment in life.. when there is lesser yearning for things and an usual sense of satiated desires. But, what an strange feeling ...