कल रात एक ख्वाब आँखों में चढ़ गया,
कल रात एक ख्वाब आँखों से उतर गया |
कल रात ओस की एक बूँद पलकों पर ठहर गयी,
कल रात आंसू का एक कतरा गालों से ढलक गया |
कुछ सोच कर पीला पड़ता गुलाब कल रात बेवजह सुर्ख खिल गया,
एक अरसे से कलम से जुदा मेरा ख़याल,
कल रात शब्द दर शब्द मेरी डायरी में उतर गया|
कल रात एक ख्वाब आँखों से उतर गया |
कल रात ओस की एक बूँद पलकों पर ठहर गयी,
कल रात आंसू का एक कतरा गालों से ढलक गया |
कुछ सोच कर पीला पड़ता गुलाब कल रात बेवजह सुर्ख खिल गया,
एक अरसे से कलम से जुदा मेरा ख़याल,
कल रात शब्द दर शब्द मेरी डायरी में उतर गया|
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